वन्य गज गणना के माध्यम से गजो की संख्या का आकलन किया जाता है। हाथियों का लगभग एक दिन में 15 घंटा का समय सिर्फ खाना खाने में गुजरता है जबकि भोजन के रूप में 150 किलोग्राम हरे चारे की आवश्कता होती है। इस दौरन ये आहार के खोज में लम्बी दूरी तय करते हैं। चूँकि ये झुँण्ड में चलते हैं और इनका अधिकतम समय आहार एवं पानी की खोज में गुजरता है इसीलिए भोजन की तलाश में अपने भोजन पथ पर आगे बढ़ते-बढ़ते राज्य की सीमा पार कर जाते हैं। झारखण्ड राज्य की सीमा (सिंहभूम क्षेत्र) बंगाल एवं उड़ीसा राज्य की वन सीमा मिला हुआ है। वन सीमा क्षेत्र सटे होने की वजह से कभी-कभी झारखण्ड हाथी बंगाल की सीमा में घुस जाते हैं एवं लम्बे समय तक भोजन की खोज में वहीं अपना निवास भी बना लेते हैं जबकि ठीक इसके विपरीत बंगाल के हाथी भी आहार खोज में झारखण्ड की सीमा में घुस जाते हैं एवं लम्बे समय तक यहाँ रह जाते हैं जिससे झारखण्ड में हाथियों की संख्या बढ़ जाती है, तो कभी कम भी हो जाती है। मेहमान और परदेशी बनने की अवधि तब बढ जाती है जब मेहमान हाथी वन सीमा क्षेत्र से बाहर जा कर किसी शिशु को जन्म दे। ऐसी परिस्थिति में उन्हें शिशु के बड़े होने होने तक एक निश्चित क्षेत्र में हीं रहना पड़ता है। इस दरमियान हाथियों का पूरा झुँड़ लम्बे समय एक हीं स्थान पर रह्ते हैं लेकिन उनकी भोजन की समस्या विकराल रूप लेती है, तब ये फसलों की ओर रूख करते हैं जिससे ग्रामीण आवादी को भी क्षति पहुँचती है जो मानव-हाथी भिड़ंत का एक उदाहरण भी है।
विभिन्न वन्य गज गणना में उपरोक्त कारण के चलते हीं वर्ष-2002 में हाथियों की संख्या-772 तो वर्ष-2007 में हाथियों की संख्या-624 जबकि वर्ष-1993 में हाथियों की संख्या-450 थी। अतः हम कह सकते है कि झारखण्ड में हाथियों की संख्या इनके प्राकृतवास में गुणात्मक ह्रास तथा जंगलों में इनके आहार एवं जल की कमी के बावजूद काफी बढ़ रही है।
एक नजर में 2007 के गज गणना की रिपोर्ट :-
8 मई से 11 मई 2007 तक सम्पूर्ण झारखण्ड राज्य के वनों में वन्य गज गणना के परिणाम का विश्लेषण मुख्य वन संरक्षक, वन्य प्राणी एवं जैव विविधता, झारखण्ड के कार्यालय कक्ष में किया गया जो निम्नवत है:-
1. वयस्क नर (8’ से अधिक ऊँचाई)
[दंतयुक्त – 99, मकना – 45] – 144
2. वयस्क मादा (7’ से अधिक ऊँचाई) – 249
3. वयस्क (अज्ञात लिंग) - 28
4. अल्प वयस्क नर (5’-8’) - 34
5. अल्प वयस्क मादा (5’-7’) - 30
6. अल्प वयस्क (अज्ञात लिंग) - 18
7. किशोर (4’-5’) - 67
8. शिशु (4’ से कम) - 54
गणना परिणाम के विश्लेषण से निम्न तथ्य स्पष्ट होते हैं:-
Ø लिंग अनुपात (नरःमादा) वयस्क - 1:1.73, अल्प वयस्क – 1:0.88
Ø दंतयुक्त हाथियों का प्रतिशत – 19%
Ø दंतयुक्तःमकना अनुपात - 1:0.45
Ø वयस्क मादाःशिशु अनुपात - 1:0.22
Ø हाथियों का घनत्व - 28 हाथी/1000 वर्ग कि0मी0
Ø(अथवा 1 हाथी/37.82 वर्ग कि0मी0)
गणना प्रतिवेदन के अनुसार गज आरक्ष सिंहभूम एवं व्याघ्र आरक्ष पलामू में क्रमशः 317 एवं 216 हाथी है। गज आरक्ष एवं व्याघ्र आरक्ष में sex ratio (नरःमादा) क्रमशः 1:1.8 एवं 1:2.06 है। इन आरक्षों में हाथियों का घनत्व प्रति 100 वर्ग कि0मी0 क्रमश: 7 एवं 21 है।
सिंहभूम गज आरक्ष – 317
पलामू व्याघ्र आरक्ष – 216
अन्य वन क्षेत्र - 91
मंगलवार, 17 मार्च 2009
वन्य गज : कभी मेहमान कभी परदेशी
प्रसंग:
गज गणना 2007,
वन्य प्राणी-एक परिचय,
हाथी
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3 पाठक टिप्पणी के लिए यहाँ क्लिक किया, आप करेंगे?:
हाथियों के बारे में अच्छी जानकारी दी गई है!
वन्य प्राणियों के प्रति प्रेम वर्धन में सहायक!
सराहनीय कार्य!
ज्ञान वर्धक जानकारी दी आपने.बहुत धन्यवाद
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