
जंगली हाथियों से सुरक्षा के लिए क्या करें:-
[1] हाथी द्वारा कान खड़े कर, सूँढ़ ऊपर उठाकर आवाज देना इस बात का संकेत है कि वह आप पर हमला करने जा रहा है। अतः तत्काल सुरक्षित स्थान पर चलें जायें।
[2] हाथी से यदि सामना हो जाये तो तुरन्त उसके लिए रास्ता छोड़ें। पहाड़ी स्थानों में सामना होने की स्थिती में पहाड़ी की ढ़लान की ओर दौड़ें। कुछ दूर दौड़ने पर गमछा, पगड़ी, टोपी अथवा कोई वस्त्र फेंक दें ताकि कुछ समय तक हाथी उसमें उलझा रहे और आपको सुरक्षित स्थान में पहुँचने का मौका मिल जाए।
[3] अगर हाथी रात में या दिन में गाँव में आ जाता है तो मशाल के साथ कम-से-कम दस लोग एक साथ मिलकर ढ़ोल या टीना पीटकर हाथी को भगाने का प्रयास करें। इस प्रक्रिया में भी हाथी के बहुत नजदीक न जायें। हाथी-प्रभावित क्षेत्रों के गाँवों में रात्रि में दल बनाकर मशाल के साथ पहरा दें।
[4] अगर मचान बनाकर खेत की रखवाली करनी हो, तो मचान ऊँचा बनावें, विशेष कर उसे ऊँचे, मजबूत पेड़ के ऊपर बनायें और उसके नीचे जमीन पर लकड़ी से आग जलायें रखें।
जंगली हाथियों से सुरक्षा के लिए क्या न करें:-
[1] हाथी के चारो ओर कौतूहलवश भीड़ न लगायें। हाथियों की चलने/दौड़ने की गति 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे हो सकती है। अतः हाथी से कम से कम 300 गज की दूरी बनाये रखें। बच्चों, महिलाओं एवं वृद्धों को कभी भी हाथी के समक्ष नहीं जाने दें।
[2] हाथियों को छेड़े नहीं; विशेष कर उन पर पत्थर, तीर, जलता हुआ टायर आदि फेंक कर प्रहार न करें। जख्मी होने पर हाथी उग्र रूप धारण कर जन और धन को क्षति पहुँचा सकते हैं।
[3] हाथियों को अनाज अथवा अन्य कोई खाद्य सामग्री न दें, क्योंकि इससे उनकी खाद्य सामग्री के प्रति रूचि बढ़ेगी एवं इस कारण वे मकानों को तोड़कर खाद्य सामग्री प्राप्त करने का प्रयास कर सकते हैं।
[4] हाथी को देखकर पूजा या प्रणाम करने के उद्देश्य से भी उनके पास नहीं जायें।
[5] हाथी जिस जंगल में हों उस क्षेत्र में चारा, जलावन एकत्र करने नहीं जाएं।
[1] हाथी द्वारा कान खड़े कर, सूँढ़ ऊपर उठाकर आवाज देना इस बात का संकेत है कि वह आप पर हमला करने जा रहा है। अतः तत्काल सुरक्षित स्थान पर चलें जायें।
[2] हाथी से यदि सामना हो जाये तो तुरन्त उसके लिए रास्ता छोड़ें। पहाड़ी स्थानों में सामना होने की स्थिती में पहाड़ी की ढ़लान की ओर दौड़ें। कुछ दूर दौड़ने पर गमछा, पगड़ी, टोपी अथवा कोई वस्त्र फेंक दें ताकि कुछ समय तक हाथी उसमें उलझा रहे और आपको सुरक्षित स्थान में पहुँचने का मौका मिल जाए।
[3] अगर हाथी रात में या दिन में गाँव में आ जाता है तो मशाल के साथ कम-से-कम दस लोग एक साथ मिलकर ढ़ोल या टीना पीटकर हाथी को भगाने का प्रयास करें। इस प्रक्रिया में भी हाथी के बहुत नजदीक न जायें। हाथी-प्रभावित क्षेत्रों के गाँवों में रात्रि में दल बनाकर मशाल के साथ पहरा दें।
[4] अगर मचान बनाकर खेत की रखवाली करनी हो, तो मचान ऊँचा बनावें, विशेष कर उसे ऊँचे, मजबूत पेड़ के ऊपर बनायें और उसके नीचे जमीन पर लकड़ी से आग जलायें रखें।
जंगली हाथियों से सुरक्षा के लिए क्या न करें:-
[1] हाथी के चारो ओर कौतूहलवश भीड़ न लगायें। हाथियों की चलने/दौड़ने की गति 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे हो सकती है। अतः हाथी से कम से कम 300 गज की दूरी बनाये रखें। बच्चों, महिलाओं एवं वृद्धों को कभी भी हाथी के समक्ष नहीं जाने दें।
[2] हाथियों को छेड़े नहीं; विशेष कर उन पर पत्थर, तीर, जलता हुआ टायर आदि फेंक कर प्रहार न करें। जख्मी होने पर हाथी उग्र रूप धारण कर जन और धन को क्षति पहुँचा सकते हैं।
[3] हाथियों को अनाज अथवा अन्य कोई खाद्य सामग्री न दें, क्योंकि इससे उनकी खाद्य सामग्री के प्रति रूचि बढ़ेगी एवं इस कारण वे मकानों को तोड़कर खाद्य सामग्री प्राप्त करने का प्रयास कर सकते हैं।
[4] हाथी को देखकर पूजा या प्रणाम करने के उद्देश्य से भी उनके पास नहीं जायें।
[5] हाथी जिस जंगल में हों उस क्षेत्र में चारा, जलावन एकत्र करने नहीं जाएं।
12 पाठक टिप्पणी के लिए यहाँ क्लिक किया, आप करेंगे?:
पाँच वर्ष में दीवारों से, चित्र उतारे जाते हैं।
कुर्सी वाले नेता के ही, चित्र सँवारे जाते हैं।
निर्वाचन पर सीधे-सीधे, इन पर करना चोट सही।
भ्रष्टाचारी नेताओ को, आगे करना वोट नही ।
प्रेम सागर सिंह जी।
रावेन्द्र कुमार रवि के सरस पायस के द्वारा आप तक पहुँचा हूँ। मैं कोई कवि नही हूँ, बस शब्दों को जोड़ लेता हूँ। कभी मेरे ब्लाग पर भी आयें। मेरा ब्लाग है-
http://uchcharan.blogspot.com
E-Mail: roopchandrashastri@gmail.com
जनसामान्य के लिए बहुत अच्छी जानकारी.......आभार।
जंगली हाथियों से अगर आपका सामना हो जाय तो क्या करेंगें आप?
000
तो भाईसाहब हम क्या करेंगें...? जो करेंगें हाथी महाराज करेंगें..!!
000
अच्छी जानकारी। माननीय योगेन्द्र जी एकदम पते की बात कर रहे हैं। बिल्कुल उस कबूतर की तरह जो बिल्ली के आने पर आंखें बंद कर ये सोचता है कि बिल्ली गायब हो चुकी।
Lajwab jankari....Badhai !!
... बहुत प्रसंशनीय अभिव्यक्ति है, ज्ञानवर्धक जानकारी के लिये बधाई।
Prem ji hathiyon se bachne ki acchi jankari di pr jab aisi baton ka samna hota hai to sari mati mari jati hai.....!!
आपके द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले लेख सराहनीय हैं। यह आशा भी है कि यह संकलन और भी बढ़े व जन सामान्य के लिये वन्य प्राणियों से संबद्ध जानकारी का संदर्भ बने।
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