रंग पीला और उसपर लाईन में छोटी-छोटी काली-भूरी आकृतियाँ बनी होती है। रात्रिचर हैं और दिन में बड़े वृक्षों के खोखले भाग (खोह) में अथवा डालों के बीच विश्राम करते हैं। शाम होते हीं अपने आहार के लिए सक्रिय हो जाते हैं। छोटे पक्षी चूहे आदि इनके आहार हैं। कई क्षेत्रों में ये मुर्गीपालन को काफी क्षति पहूँचाते हैं। घरेलू बिल्ली जैसा आकार होता है और इन्हें “चीता-बिल्ली” के नाम से जाना जाता है। घरेलू बिल्लियों के साथ इनका प्रजनन देखा गया है। चीता-बिल्ली के पालतू बनने का दृष्टांत भी है।
नाम : चीता बिल्ली
अंग्रेजी नाम : (Leopard Cat)
वैज्ञानिक नाम : (Felis bengalensis)
विस्तार : पूरा भारत तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के उत्तरी भाग।
आकार : सिर से शरीर करीब 60 से0मी0 तथा पूँछ 60 से0मी0 लम्बा।
वजन : तीन से चार किलोग्राम।
चिडियाघर में आहार : चिकेन और दूध
प्रजनन काल : पूरा वर्ष।
प्रजनन हेतू परिपक्वता : 11 माह।
गर्भकाल : 61 दिन।
प्रतिगर्भ प्रजनित शिशु की संख्या : तीन से चार ।
जीवन काल : करीब 15 वर्ष ।
प्राकृति कार्य : प्रजनन द्वारा अपनी प्रजाति का अस्तित्व कायम रखना, चूहों तथा पक्षियों की संख्या पर प्राकृतिक नियंत्रण में सहायता करना आदि।
प्रकृति में संरक्षण स्थिति : संकटापन्न (Endangered) ।
कारण : अविवेकपूर्ण मानवीय गतिविधियों (यथा वनों की अत्यधिक कटाई, चराई, वनभूमि का अन्य प्रयोजन हेतु उपयोग) के कारण इनके प्राकृतवास (Habitat) का सिमटना एवं उसमें गुणात्मक ह्रास (यथा आहार, जल एवं शांत आश्रय-स्थल कि कमी होना), घरेलू पालतू पक्षियों को क्षति के कारण इनकी हत्या आदि।
वैधानिक संरक्षण दर्जा : अति संरक्षित, वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम की अनुसूची – I में शामिल।
नाम : चीता बिल्ली
अंग्रेजी नाम : (Leopard Cat)
वैज्ञानिक नाम : (Felis bengalensis)
विस्तार : पूरा भारत तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के उत्तरी भाग।
आकार : सिर से शरीर करीब 60 से0मी0 तथा पूँछ 60 से0मी0 लम्बा।
वजन : तीन से चार किलोग्राम।
चिडियाघर में आहार : चिकेन और दूध
प्रजनन काल : पूरा वर्ष।
प्रजनन हेतू परिपक्वता : 11 माह।
गर्भकाल : 61 दिन।
प्रतिगर्भ प्रजनित शिशु की संख्या : तीन से चार ।
जीवन काल : करीब 15 वर्ष ।
प्राकृति कार्य : प्रजनन द्वारा अपनी प्रजाति का अस्तित्व कायम रखना, चूहों तथा पक्षियों की संख्या पर प्राकृतिक नियंत्रण में सहायता करना आदि।
प्रकृति में संरक्षण स्थिति : संकटापन्न (Endangered) ।
कारण : अविवेकपूर्ण मानवीय गतिविधियों (यथा वनों की अत्यधिक कटाई, चराई, वनभूमि का अन्य प्रयोजन हेतु उपयोग) के कारण इनके प्राकृतवास (Habitat) का सिमटना एवं उसमें गुणात्मक ह्रास (यथा आहार, जल एवं शांत आश्रय-स्थल कि कमी होना), घरेलू पालतू पक्षियों को क्षति के कारण इनकी हत्या आदि।
वैधानिक संरक्षण दर्जा : अति संरक्षित, वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम की अनुसूची – I में शामिल।