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सोमवार, 23 मार्च 2009

फूँक मारने से बच्चे तन्दुरूस्थ हो जाते हैं!

दीमक तथा मधु इन्हें विशेष रूप से पसन्द है। दीमक का टीला और वहाँ की जमीन अपने नाखून से खोद कर ये दीमक को हवा के साथ मुँह में खींच लेते हैं। मधु के लिए ये मधु का छत्ता वाले पेड़ों पर चढ़ जाते हैं। इनमें काम-शक्ति बहुत तीव्र एवं गतिमान होती है। इनकी काम-क्रिया घंटो लगातार एवं विद्युतगति से होती है। माऊण्टिंग (Mounting) के ऊपरांत इनकी काम-क्रिया करीब 5 मिनट या अधिक समय तक विद्युतगति से होती है एवं करीब 30 सेकण्ड से 2 मिनट तक के विराम के बाद विना उतरे वही क्रम बार-बार दुहराते है जो घंटो चलता रहता है। अगर इनको छेड़ा नहीं जाय तो कामवासना पूरे दिन/कुछ दिन तक भी चल सकता है। (उक्त तथ्य प्रजनन के संदर्भ में भगवान बिरसा जैविक उद्यान, राँची में पदस्थापन काल के दौरान कई दिनों के अवलोकन के उपरांत नोटिस किया) इनके बाल काले, घने, लम्बे एवं शुष्क होते हैं तथा ये देसी भालू के नाम से जाने जाते हैं। नर भालू मादा भालू से बड़ा होता है। यह एक कुशल चढ़ाकूँ (Climber) होता है तथा पेड़ों पर कुशलता से चढ़ जाता है। भालू आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं तथा गर्मी के मौसम में घाटियों में उतर आते हैं जहाँ जंगली फलों की प्रचुरता होती है। जामून, बेर, बेल, महुआ फूल एवं नरम घास खाते हैं लेकिन साधारणतया घास इनका नियमित भोजन नहीं है। कई मौके पर इन्हें खजूर का ताड़ी भी पीने के भी उदाहरण मिले हैं। दीमक की खोज में अपने मजबूत एवं लम्बे नाखून से जमीन की गहराई तक खोदते हैं तथा हवा को तीब्र गति से खींच कर दीमक को उदर में उतारते हैं, जिससे फूँक मारने की ऊँची आवाज भी निकलती रहती है।
खतरनाक कब होते हैं:-
मादा भालू में मातृत्व अत्यंत मजबूत होता है तथा शिशुवाली मादा का सामना करना अत्यंत खतरनाक है। ये नवजात के आस-पास जाने पर घातक ढ़ग से आक्रमण कर देते हैं। नवजातों के प्रति अत्याधिक सुरक्षा देने के चक्कर में इनके शिशु की मौत भी हो जाती है। बच्चे के प्रति अति संवेदनशील होने की वजह से अपना भोजन भी बहुत दिनों तक त्याग देते हैं जिससे ये काफी कमजोर हो जाते हैं।
विशिष्टता: इनकी आयु लम्बी होती है लेकिन बच्चे जनने की दर काफी धीमी/कम होती है।
मिथ्यामति:
1. ग्रामीण परिवेश में बच्चों को भालू से फूँक मरवाये जाते हैं ताकि वह बिमारी मुक्त एवं तन्दुरूस्थ हो जायें, जो पुर्णतया मिथ्या है। असल में हवा खिंचने की इनकी अदभुत शक्ति, तीव्रता एवं फूँक मारने की ऊँची आवाज है, जो जीवन-यापण के सहायक तत्व मात्र हैं।
2. महिलाओं के साथ सान्निध्य/समागम की बात भी निरर्थक है। वस्तुतः भालू अकेले पुरूष/महिला के लिए घातक होते हैं एवं काफी आक्रमक हो जाते हैं तथा ये अपना हमला तबतक बन्द नहीं करते जबतक प्रतिद्वन्दी की शारीरिक गतिविधियाँ शिथिल न पड़ जाये अथवा उसके चँगूल से बच न निकलें।
(संदर्भ: “सरस पायस” के ब्लॉगर “रावेंद्रकुमार रवि जी” का प्रेक्षण)
नाम : देसी भालू
अंग्रेजी नाम : (Sloth Bear)
वैज्ञानिक नाम : (Melursus ursinus)
विस्तार : भारत और श्रीलंका के पहाड़ी वनों में।
आकार : 2 से 2.75 फीट ।
वजन : 65-145 किलोग्राम।
चिडियाघर में आहार : गेहूँ, चावल, गुड़ तथा दुध का खीर एवं फल।
प्रजनन काल : गृष्म काल।
गर्भकाल : 210 दिन।
प्रतिगर्भ प्रजनित शिशु की संख्या : एक से तीन।
जीवन काल : करीब 40 वर्ष ।
प्राकृति कार्य : प्रजनन द्वारा अपनी प्रजाति का अस्तित्व बनाए रखना, दीमक पर नियंत्रण रखना, विभिन्न फलों के बीज अपने मल के साथ बड़े क्षेत्र में फैलाना, बड़े परभक्षियों का आपात्कालिक आहार बनना आदि।
प्रकृति में संरक्षण स्थिति : संकटापन्न (Threatened) ।
कारण : अविवेकपूर्ण मानवीय गतिविधियों (यथा वनों की अत्यधिक कटाई, चराई, वनभूमि का अन्य प्रयोजन हेतु उपयोग) के कारण इनके प्राकृतवास (Habitat) का सिमटना एवं उसमें गुणात्मक ह्रास (यथा आहार,जल एवं शांत आश्रय-स्थल कि कमी होना), अवैध व्यापार, हत्या आदि।
वैधानिक संरक्षण दर्जा : अतिसंरक्षित, वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम की अनुसूची – I में शामिल।

4 पाठक टिप्पणी के लिए यहाँ क्लिक किया, आप करेंगे?:

रंजू भाटिया ने कहा…

रोचक जानकारी है यह .शुक्रिया

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

आपके ब्लॉग पर जब भी आता हूँ जानाकारिओं से लबरेज होकर जाता हूँ , आपका आभार , क्रम बनाएं रखें !

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

मिथ्यामति में एक तथ्य और जोड़ा जा सकता है -
भालू पेड़ पर उल्टा नहीं चढ़ सकता है!
इस आलेख के दूसरे चित्र से यह बात स्पष्ट हो भी रही है!

Paise Ka Gyan ने कहा…

Central Bank in Hindi
MLM Network Marketing in Hindi
EMI in Hindi
Computer Ka Avishkar Kisne Kiya
Indian Scientist In Hindi
Mobile Ka Aviskar Kisne Kiya
Tv Ka Avishkar Kisne Kiyai

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