इनका रंग पीला-भूरा होता है जिस पर छोटे, काले पुष्पाकृति की छापें बनी रहती हैं। दिन में ये गिरे –पड़े वृक्षों के नीचे या कन्दराओं में बनी माँद अथवा वृक्ष के ऊपर विश्राम करते हैं तथा शाम होते ही अपने आहार के लिए सक्रिय हो जाते हैं। बिल्ली प्रजाति के बड़े जानवरों में सर्वाधिक विस्तारवाला तेन्दुआ जंगलों तथा घास के मैदान के अतिरिक्त रेगिस्तानी क्षेत्र में भी पाये जाते हैं। आमतौर पर तेंदुआ अकेले विचरण करता है, परंतु प्रजनन के लिए जोड़ा बनाता है। छोटे आकार के हिरण, मवेशी तथा अन्य पशु इनके आहार हैं। वृक्ष पर चढ़ने में ये दक्ष होते हैं और कभी-कभी वृक्ष से छलांग लगाकर नीचे से जा रहे शिकार को धर-दबोचते हैं। आमतौर पर अचानक आक्रमण कर शिकार का गला अपने मुँह से पकड़ कर मारते हैं । जंगलों पर वर्तमान में बढे हुए मानवीय दबाव की स्थिति में भी ये अपना अस्तित्व बचाये रखने में सर्वाधिक सफल है क्योंकि ये मानवीय आबादी के समीप वृक्षों पर भी रह सकते हैं जहाँ घरेलू पशु-पक्षी आहार के लिए आसानी से मिल जाते हैं।
विस्तार : पूरा भारत, श्रीलंका तथा अफ्रिका
हिन्दी नाम : तेन्दुआ
अंग्रेजी नाम : Leoparad, panther
वैज्ञानिक नाम : Panthera pardus
आकार : नर की औसत लम्बाई-2.15 मी० ( पुँछ सहीत) होती है जब कि मादा नर से 30 से. मी. छोटी होती है।
वजन : नर-65-70 किलोग्राम, मादा- 50-65 किलोग्राम
प्रजनन काल : पूरा वर्ष
गर्भकाल : 90-105 दिन
चिडियाघर में आहार : महिष माँस, चिकेन एवं दूध
प्रजनन हेतू परिपक्वता : ढ़ाई से चार वर्ष
प्रतिगर्भ प्रजनित शिशु की संख्या : दो (कभी-कभी तीन या चार)
जीवन काल : करीब २० वर्ष
प्राकृति कार्य : प्रजनन द्वारा अपनी प्रजाति का अस्तित्व कायम रखना, शाकभक्षी जानवरों की संख्या नियंत्रित कर वनस्पति एवं शाकाहारी जानवरों के बीच संतुलन बनाये रखना आदि.
प्रकृति में संरक्षण स्थिति : संकटापन्न (Endangered)
कारण : अविवेकपूर्ण मानवीय गतिविधियों (यथा वनों की अत्यधिक कटाई, चराई, वनभूमि का अन्य प्रयोजन हेतु उपयोग) के कारण इनके प्राकृतवास (Habitat) का सिमटना एवं उसमें गुणात्मक ह्रास (यथा आहार,जल एवं शांत आश्रय-स्थल कि कमी होना), शारीरिक अवयवों (यथा चमड़ा, हड्डी, नाखून आदि) के लिए तथा मानव-हित से टकराव (यथा मवेशियों को क्षति आदि) के कारण हत्या.
वैधानिक संरक्षण दर्जा : अति संरक्षित, वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम की अनुसूची - १ में शामिल.