इन्हें झाड़ीवाले पर्णपाती जंगल पसन्द हैं। ये समूह में रहते हैं और एक समूह में 10-20 जानवर हो सकते हैं जिसका नेतृत्व एक नर करता है। इनका आहार हिरण, जंगली सुअर तथा अन्य शाकभक्षी जानवर हैं। ये अपने शिकार के नजदीक तक घास और झाड़ी के सहारे चुपके-चुपके पहुँचते हैं और अचानक आक्रमण कर उन्हें मार डालते हैं। जानवरों का राजा कहा जानेवाला सिंह एक शक्तिशाली जानवर है। अफ्रिका में पाए जानेवाले सिंह एशियाई सिंह से कुछ भिन्न दिखते हैं। अफ्रिका सिंह का भरपूर केसर होता है तथा पूँछ के शीर्ष पर लम्बे काले बाल तथा पेट पर पर घने बाल होते हैं। अफ्रिकी और एशियाई सिंहों के बीच प्रजनन होता है और वर्णसंकर सिंह अधिकतर चिड़ियाघरों में प्रदर्श के रूप में रखे गए हैं।
विस्तार : प्राचीन एवं मध्यकाल में ईरान तथा इराक सहित उत्तर एव6 मध्य भारत में नर्मदा नदी तक फैलाववाले एशियाई सिंह अब केवल गुजरात (कठियावाड़) के गीर के वनों में पाए जाते हैं।
हिन्दी नाम : सिंह, बब्बर शेर
अंग्रेजी नाम : Asiatic Lion
वैज्ञानिक नाम : Panthera leo
आकार : नर- २.७५-२.९० मी० लम्बा, पुँछ सहीत
वजन : 150-240 किलोग्राम
प्रजनन काल : पूरा वर्ष
गर्भकाल : 116 दिन
चिडियाघर में आहार : महिष माँस, चिकेन एवं दूध
प्रजनन हेतू परिपक्वता : ढ़ाई से तीन वर्ष
प्रतिगर्भ प्रजनित शिशु की संख्या : एक से छ:
जीवन काल : करीब २० वर्ष प्राकृतवास में, 24 वर्ष का जीवनकाल बंदी अवस्था में देखा गया है।
प्राकृति कार्य : प्रजनन द्वारा अपनी प्रजाति का अस्तित्व कायम रखना, शाकभक्षी जानवरों की संख्या नियंत्रित कर वनस्पति एवं शाकाहारी जानवरों के बीच संतुलन बनाये रखना आदि.
प्रकृति में संरक्षण स्थिति : संकटापन्न (Endangered);
कारण : अविवेकपूर्ण मानवीय गतिविधियों (यथा वनों की अत्यधिक कटाई, चराई, वनभूमि का अन्य प्रयोजन हेतु उपयोग) के कारण इनके प्राकृतवास (Habitat) का सिमटना एवं उसमें गुणात्मक ह्रास (यथा आहार,जल एवं शांत आश्रय-स्थल कि कमी होना), शारीरिक अवयवों (यथा चमड़ा, हड्डी, नाखून आदि) के लिए तथा मानव-हित से टकराव (यथा मवेशियों को क्षति आदि) के कारण हत्या.
वैधानिक संरक्षण दर्जा : अति संरक्षित, वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम की अनुसूची - १ में शामिल.
5 पाठक टिप्पणी के लिए यहाँ क्लिक किया, आप करेंगे?:
जानकारी आधारित रोचक प्रस्तुती /
कमाल का ब्लॉग..रोचक प्रस्तुतिकरण..!!
.............."अचानक आक्रमण कर मार डालते हैं", शीर्षक अच्छा नहीं लगा , शेर कभी भी आदमी पर हमला नहीं करते बाकी सब ठीक है . अच्छी सुचना दायक लेख
जानकारी आधारित रोचक प्रस्तुती
माधव जी,
मार डालने का अभिप्राय सिंह के प्राकृतिक आहार (शिकार) से हैं। सन्दर्भ वन्य जीवन से हैं, इसे उसी रूप में स्वीकार किया जाय। आप के कथन सत्य है कि आदमी, सिंह का प्राकृतिक आहार नही है। अचानक आक्रमण का मतलब उसके अपने प्राकृतिक आहार पर करने से है जो उसके जीवन का मूल आधार है।
शंका व्यक्त करने के लिए धन्यवाद, आपके टिप्प्णी से अन्य पाठकों की भी शंका दूर होगी।
बहुत दिनों बाद पुन: एक महत्त्वपूर्ण पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा!
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माधव की टिप्पणी भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है!
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बौराए हैं बाज फिरंगी!
हँसी का टुकड़ा छीनने को,
लेकिन फिर भी इंद्रधनुष के सात रंग मुस्काए!
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