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सोमवार, 9 मार्च 2009

काँटों को तीर की तरह छोड़ कर आक्रमणकारियों को मारते हैं!

पथरीली पहाड़ियों तथा घास के मैदानवाले जंगल इन्हें पसन्द हैं। दिन में ये पथरीली गुफा अथवा जमीन में बने बिलों में रह्ते हैं। इनकी दृष्टि कमजोर होती है परंतु सुनने और सूँघने की शक्ति तीक्ष्ण होती है। प्रकृति में कोमल पत्ते एवं कली, कन्द-मूल, फल तथा दाना इनका आहार है। इनके काँटे, बालों का ही परिवर्तित रूप है जो इनकी सुरक्षा का साधन है। खतरा का आभास होने पर ये इन काँटों को खड़ा कर लेता हैं तकि परभक्षी इन्हें नहीं मार सकें। शरीर के उपर लम्बे काँटों (18-20 से0मी0) के कारण हीं इनकी पहचान की जा सकती है तथा “शाही” के नाम से जाना जाता है। यह अवधारणा गलत है कि ये काँटों को तीर की तरह छोड़ कर आक्रमणकारियों को मारते हैं। असल में रगड़ खाने पर काँटें उखड़ कर गिरते हैं जिनके स्थान पर नये काँटे निकल भी आते हैं। यहीं काँटा के लिए इनकी हत्या भी होती है।
नाम : शाही
अंग्रेजी नाम : (Indian Porcupine)
वैज्ञानिक नाम : (Hystrix indica)
विस्तार : पूरे भारत के अतितिक्त श्रीलंका, बलुचिस्तान, ईरान तथा मध्य पूर्व एशिया में।
आकार : 50-60 से0मी0 लम्बा।
वजन : 11-18 किलोग्राम।
चिडियाघर में आहार : चना, मकई, दर्रा, कटा हुआ गाजर, चुकन्दर, बैंगन तथा केला।
प्रजनन काल : पूरा वर्ष।
प्रजनन हेतू परिपक्वता : 11 माह।
गर्भकाल : 90 दिन।
प्रतिगर्भ प्रजनित शिशु की संख्या : दो से चार ।
जीवन काल : करीब 20 वर्ष ।
प्राकृति कार्य : प्रजनन द्वारा अपनी प्रजाति का अस्तित्व कायम रखना तथा वनस्पति को आहार बनाकर उन पर प्राकृतिक नियंत्रण में सहयोग करना आदि।
प्रकृति में संरक्षण स्थिति : असुरक्षित (Threatened);
कारण : माँस तथा काँटा के लिए हत्या आदि।
वैधानिक संरक्षण दर्जा : संरक्षित, वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम की अनुसूची – IV में शामिल।

18 पाठक टिप्पणी के लिए यहाँ क्लिक किया, आप करेंगे?:

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर जानकारी दी है ... होली की ढेरो शुभकामनाएं।

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

अच्छा लगा पढ़कर , आपको होली की ढेरों शुभकामनाएं !

L.Goswami ने कहा…

रोचक जानकारी .आपकी टिप्पणी पा के खुसी हुई ..होली की शुभकामनायें.

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

हम इसे "सेही" भी कहते हैं!
याद नहीं कब देखा था,
पर वह दृश्य अचानक
स्मृति के पटल पर उभर आया,
जब इसे पहली बार
अपनी आँखों से देखा था!

संक्षेप में अच्छी जानकारी मिली!

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

आपको

होली पर

फागुन के रंगों से रँगी,

मस्ती और प्यार-भरी

शुभकामनाएँ!

होली है, भइ, होली है -

रंग-बिरंगी होली है!

आज तो होली-जैसे रंगोंवाले किसी

वन्य प्राणी का फ़ोटो होना चाहिए था!

Science Bloggers Association ने कहा…

बहुत सुन्‍दर जानकारी प्रदान की है आपने। आभार।

होली की हार्दिक शुभकामनाऍं।

प्रेम सागर सिंह [Prem Sagar Singh] ने कहा…

रावेंद्रजी,
काश! वन्य प्राणियों में होली की अनुभूति करने की शक्ति होती।
शाही को कई जगहों पर कई नाम से जाना जाता है, इसी में 'सेही' एवं "शाहिल" भी है। आपकी जानकारी पुख्ता है।
धन्यवाद!

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

आपने उपर पोस्ट में शाही के बायें बाजू जो तीन बच्चों कि फ़ोटो लगा रखी है वो शायद hedgehog के बच्चे हैं शाही के नहीं.

कृपया बताये कि सही क्या है? सिर्फ़ अपने ज्ञानवर्धन के लिये पूछ रहा हूं.

रामराम.

प्रेम सागर सिंह [Prem Sagar Singh] ने कहा…

रामपुरियाजी, आपकी शंका दूर करते हुए जानकारी देना चाहता हूँ कि सन्दर्भित फोटो शाही के बच्चे की है।

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